
हो सकता है कि अब आपकी सैलरी एक घर खरीदने के लिए काफी हो, पर साथ ही ध्यान रखें कि लंबे समय के लिए (10-15 साल) कोई भी लोन लेना एक बहुत बड़ी फाइनेंसियल कमिटमेंट है।
जीवन के कई माइलस्टोन्स की तरह, घर खरीदना भी एक है। इसके लिए सही उम्र जैसी कोई चीज नहीं है, और ये इंसान के तैयार होने पर निर्भर करता है। कोई भी फैसला लेने से पहले नीचे दिए गए कारकों पर विचार करें।
प्रॉपर्टी प्राइस ट्रेंड्स
मूल्य खरीद एक घर खरीदने के फैसले के लिए प्रमुख ट्रिगर में से एक है। यदि संपत्ति की कीमतें बढ़ती हैं, तो आप ज्यादा पैसा देते हैं। इसलिए, प्रॉपर्टी को खरीदने का मतलब है कम दरों पर लॉक-इन।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, ऑल इंडिया रियल एस्टेट की कीमतें पिछले नौ वर्षों में सालाना 13% थी। जबकि दिल्ली और मुंबई की कीमतें सालाना आधार पर 14.6% और 12.5% थीं, यह बेंगलुरु (11.7%) और चेन्नई (10.7%) के लिए कम थी।
हालांकि, रियल्टी की कीमतें भी हाल ही कम हो रही हैं। पिछले एक साल में मुंबई की रियल्टी की कीमतों में 1।4% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि दिल्ली (0.4%) और बेंगलुरु (8.6%) में पहले के मुकाबले में कम दरें देखी गईं। जब कीमतों में गिरावट हो रही है तो बेहतर हैं आप इन्वेस्ट ना करें।
प्रॉपर्टी की कीमत की जानकारी लेने के बाद ही आगे बढ़ें।
अफोर्डेबिलिटी
अफोर्डेबिलिटी , जिसे प्रॉपर्टी की कीमतों में सालाना आमदनी से मापा जाता है पिछले 2 दशकों से काफी अच्छी स्थिति में है।
एक तरह से, इसका मतलब है कि आपके पड़ोसी और दोस्त तेजी से मकान खरीद रहे हैं क्योंकि वो सस्ते है। दूसरों को देखे बिना, सिर्फ तभी घर खरीदें जब यह आपके लिए सस्ता हो। थंब रूल के मुताबिक ईएमआई आपके टेक-होम वेतन के 1/4 वें से अधिक नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि आप महीने में 1 लाख रुपये कमाते हैं, तो ईएमआई महीने में 25,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
ब्याज की दरें घटने-बढ़ने से भी अफोर्डेबिलिटी प्रभावित होती है। और अगर आप फ्लोटिंग रेट होम लोन ले रहे हैं तो ये आपके लोन चुकाने के समय को भी बढ़ा सकता है।इसी लिए इन सब चीजों को ध्यान में रख कर अपने फाइनेंस के बारे में सोचें। और अगर आपके पास सीमित फाइनेंस के स्त्रोत हैं तो फिक्स्ड ब्याज पर ही लॉक इन करें।
डाउन पेमेंट
साथ ही डाउन पेमेंट करने के लिए भी अपने पास पैसा तैयार रखें।क्योंकि ये आपके ब्याज का पैसा कम करने में मदद करता है। थंब रूल के मुताबिक आपको घर लेने से पहले ही उसकी कीमत का 20% जमा कर लेना चाहिए। अपनी सेविंग्स को इक्विटी और डेब्ट फंड में तब तक लगाते रहे जब तक आप टारगेट पर पहुंच ना जाएं।
एक जानी मानी वित्तीय कंपनी के मुताबिक होम लोन लेने वाले की औसत उम्र 39 वर्ष है। यदि आप छोटे हैं और 20 वें पड़ाव में हैं तो, घर खरीदने से पहले सुनिश्चित करें कि आपका कैरियर स्थिर है।
उम्र फैक्टर
हो सकता है कि आप अभी उतना पैसा कम रहे हो जितना प्रॉपर्टी लेने के लिए काफी है पर फिर भी जान लें कि ऋण लेने से बड़ी वित्तीय प्रतिबद्धता आती है। और वह भी एक लंबे समय (10-15 वर्ष) के लिए। एक जानी मानी वित्तीय कंपनी के मुताबिक होम लोन लेने वाले की औसत उम्र 39 वर्ष है। यदि आप छोटे हैं और 20 वें पड़ाव में हैं तो, घर खरीदने से पहले सुनिश्चित करें कि आपका कैरियर स्थिर है। और यदि आप बड़े हैं, तो सुनिश्चित करें कि सेवानिवृत्ति की आयु से परे अपनी ऋण प्रतिबद्धताओं को बढ़ाएं ना।
रहने के लिए या इन्वेस्टमेंट करने के लिए
आप घर रहने के लिए ले रहे हैं या इन्वेस्टमेंट करने के लिए? रियल एस्टेट में पैसा लगाने को इन्वेस्टमेंट समझना भूल है।
इक्विटी फंड्स तरलता, विविधीकरण, पारदर्शिता के साथ-साथ पैसा जोड़ने में भी रियल एस्टेट से बेहतर विकल्प है। अगर आप घर में रहना चाहते हैं तो ही प्रॉपर्टी खरीदें। और यदि आप लंबे समय से किराए पर रह रहे हैं, तो कुछ समय पहले ही संपत्ति खरीदने का प्रयास करें। लेकिन फिर भी ऊपर दिए गए कारकों को ना भूलें।
निष्कर्ष
कम उम्र में घर खरीदना गर्व की बात हो सकती है। फिर भी किसी भी तरह का कदम उठाने से पहले अपनी फाइनेंसियल स्थिति को अच्छे से समझ लें।